25 साल से हत्या के केस में बंद था शख्स, दया याचिका भी खारिज... अब SC ने नाबालिग घोषित कर रिहाई का दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 25 साल से जेल में बंद दोषी को रिहा कर दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अपराध के समय वह किशोर था, इसलिए उसे रिहा किया जाता है. दोषी ने 25 साल जेल में बिताए थे और राष्ट्रपति की माफी सहित अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल सजा को खत्म कराने के लिए कर चुका था.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि दोषी ओम प्रकाश उर्फ राजू ने अपनी सजा के दौरान निचली अदालत में किशोर होने का दावा किया था, लेकिन इसके बावजूद पिछले 25 वर्षों से जेल में बंद रहना पड़ा.अदालत ने कहा कि हम केवल यह कहेंगे कि यह एक ऐसा मामला है, जहां अपीलकर्ता अदालतों द्वारा की गई गलती के कारण जेल में रहा. शीर्ष अदालत ने कहा कि हमें सूचित किया गया है कि जेल में उसका आचरण ठीक था और उसको लेकर कोई भी प्रतिकूल रिपोर्ट नहीं है. दरअसल हत्या के लिए दोषी को पहले मौत की सजा सुनाई गई थी, फिर उसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया था.ओम प्रकाश ने सुप्रीम कोर्ट आने से पहले उत्तराखंड हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी, जिसमें उसने खुद को नाबालिग बताया था, लेकिन कोर्ट ने कहा था सजा पर राष्ट्रपति ने फैसला दे दिया है, इसलिए अब मामले की सुनवाई नहीं होगी.प्रकाश को 25 साल की जेल की सजा भुगतनी पड़ी. ये समय देश और दुनिया में बड़े और महत्वपूर्ण परिवर्तन का रहा. इस समय उसे वापस लौटाना मुश्किल है. बता दें कि देहरादून में साल 1994 में एक रिटायर्ड कर्नल, उनके बेटे और बहन की हत्या की हत्या में ओम प्रकाश को दोषी को पाया गया था. हत्या के आरोप में साल 2000 में ओम प्रकाश को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई गई थी, हालांकि बाद में सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था.
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