एनसीआर में भारत बंद को लेकर शहर से लेकर बॉर्डर तक सख्त पहरा,

 

      अमन न्यूज़                                     

 जाति जनजाति आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने आज भारत बंद का आह्वान किया है। नोएडा पुलिस ने सुरक्षा के शहर से लेकर बॉर्डर तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।सभी जगह पुलिस बल को अलर्ट पर रखा गया है। संभावित प्रदर्शनकारी क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस तैनात की गई है। संवेदनशील स्थानों पर निगरानी बढ़ाई गई है। बस स्टैंड और अन्य प्रमुख स्थानों पर सुरक्षा बल तैनात है।सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है। पुलिस ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए तैयारी की है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष दल तैनात किए गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने जनता से अपील की है कि वे शांत रहें और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान दें।सरकार ने भी सभी जरूरी सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने के निर्देश दिए हैं। खासतौर से मिश्रित आबादी, संवेदनशील, भीड़भाड़, मुख्य मार्केट आदि स्थानों चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। इसके अलावा दिल्ली जाने वालों पर विशेष नजर रखी जा रही है। कालिंदी कुंज, चिल्ला बार्डर, डीएनडी बॉर्डर पर पुलिस का कड़ पहरा है।देश भर के विभिन्न संगठनों ने अनुसूचित जाति जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ आज भारत बंद का आह्वान किया।  सुबह आम दिनों की तरह बाजार खुले हैं।भारत बंद के आह्वान पर दिन निकलते ही विभिन्न पार्टी दलित संगठनों के लोगों ने मेरठ रोड स्थित अंबेडकर मूर्ति के सामने एकत्र होना शुरू कर दिया है। स्थिति को संभालने के लिए पुलिस पीएसी के जवान सड़क पर तैनात है। यहां से लोग पैदल मार्च करते हुए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचेंगे। जहां गए डीएम को ज्ञापन सौंपेगे।सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं।इन लोगों के उत्थान के लिए राज् सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कोटे में कोटा निर्धारित करने के फैसले के साथ ही राज्यों को जरूरी हिदायत भी दी है।कहा कि राज्य सरकारें मनमर्जी से यह फैसला नहीं कर सकतीं। इसमें भी दो शर्त लागू होंगी। एक एससी के भीतर किसी एक जाति को 100 प्रतिशत कोटा नहीं दे सकतीं। दूसरा एससी में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।

                                            

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