(अमन न्यूज़) लोकसभा चुनाव की बिसात बिछी हुई है। राजनीतिक दल हर उस माध्यम को हथियार बना रहे हैं जिससे विपक्ष को घेरा जा सके। लोगों तक पहुंच बनाने के लिए सोशल मीडिया मुख्य भूमिका में नजर आ रहा है। सधी हुई राजनीति के तहत भाजपा की सोशल मीडिया टीम केजरीवाल बनाम केजरीवाल कैंपेन चला रही है। इसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जितने भी पुराने वीडियो क्लिप हैं, उनको ही हथियार बनाकर आम आदमी पार्टी को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है।

सोशल मीडिया कैंपेन के तहत राजनीतिक दलों ने हर वर्ग, उम्र, पढ़े-लिखे समाज का आकलन किया है। इसके तहत उनके पास पोस्ट भेजे जा रहे हैं। इंस्टाग्राम इन दिनों यूथ के लिए सबसे बड़े ऐप के तौर पर उभरा है। इस पर 18-35 साल के युवाओं का जमावड़ा रहता है। इन्हें रैली व जनसभा से खास मतलब नहीं रहता है। लिहाजा, इस पर वही पोस्ट डाले जा रहे हैं जो यूथ से जुड़े हैं। इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं को तवज्जो दी जा रही है। मीम्स बनाकर विपक्ष को भी घेरा जा रहा है।
फेसबुक पेज पर रील्स का चलन इन दिनों जोरो पर है। सोशल मीडिया कैंपेन एक्सपर्ट की माने तो अशिक्षित वर्ग, खासकर रेहड़ी-पटरी वाले सबसे अधिक रील्स देखते हैं। उन्हें यह मतलब नहीं है कि किस पार्टी के क्या विचार हैं। सबसे पहले जो भी रील्स उनके पास पहुंच जाती है, उसे ही वह लगातार देखते हैं। इस तरह से ऐसे मतदाताओं पर खास फोकस है। इसी तरह फेसबुक पर महिलाएं भी काफी एक्टिव रहती हैं। इस पर महिलाओं से संबंधित योजनाओं का प्रचार किया जा रहा है।
एक्स पर ज्यादातर ज्ञान की बातें, तर्क आधारित वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। एक्सपर्ट का मानना है कि इस प्लेटफार्म पर प्रबुद्ध वर्ग की भागीदारी सबसे अधिक है। लिहाजा, पूरी तैयारी के साथ वीडियो के माध्यम से विपक्ष को घेरा जा रहा हे, ताकि तार्किक दृष्टि से वे उस मुद्दे को परखकर अपना मन बना सकें कि कौन सी पार्टी, उम्मीदवार उनके लिए बेहतर है। दिल्ली देश की राजधानी होने की वजह से इस वर्ग की भी बहुतायत है।
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