एम्स में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी की ओपीडी एक जनवरी से रहेगी प्रभावित, आदेश जारी

 ( अमन न्यूज़ )अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी एक जनवरी से प्रभावित रहेगी। बुधवार और शुक्रवार को ओपीडी नहीं लगेगी। एम्स ने इस बारे में एक आदेश जारी किया है।

हालांकि ऐसा क्यों किया जा रहा है इसकी जानकारी नहीं दी गई है। सूत्रों का कहना है कि फैकल्टी की कमी के चलते यह निर्णय लिया है। पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी में फिलहाल दो डॉक्टर ही सेवाएं दे रहे हैं।

बुधवार और शुक्रवार को नहीं लगेगी ओपीडी

एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. बलराम भार्गव की ओर से जारी ओदश में कहा गया है कि फैकल्टी की कमी के चलते बुधवार को कमरा नंबर 21 में और शुक्रवार को कमरा नंबर 18 में लगने वाली ओपीडी एक जनवरी से नहीं लगेगी। अस्थायी रूप से इन्हें बंद किया जा रहा है। इस पर एम्स के अधिकारियों ने आधिकारिक रूप से बोलने से इन्कार कर दिया है।उन्होंने इसके कारण पूरी तरह स्पष्ट नहीं किए हैं। सूत्रों की मानें तो पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी विभाग में दो डॉक्टर ही ओपीडी में सेवाएं दे रहे हैं। इनमें डॉ. सौरभ कुमार गुप्ता पूरी तरह बच्चों को ही देख रहे हैं। जबकि डॉ. एस रामाकृष्णन बच्चों के साथ व्यस्क मरीजों को भी देख रहे हैं। ऐसे में फैकल्टी कमी से विभाग पहले से ही जूझ रहा है।

नई फैकल्टी की नहीं हुई भर्ती

दो वर्ष पहले पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी की नामचीन विशेषज्ञ डॉ. अनीता सक्सेना और एक अन्य डाक्टर सेवानिवृत्त हो गए थे। इसके बाद नई फैकल्टी भर्ती नहीं की गई। एडहाक का भी सेवा विस्तार नहीं हो सका।कुछ दिनों पहले पीडियाट्रिक विभाग ने एम्स प्रशासन से पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी के लिए तीन फैकल्टी देने की मांग की थी। इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि ओपीडी में मरीजों का भार काफी ज्यादा है।पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी में डीएम डिग्री लिए हुए डॉक्टर भेजे जाएं। पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी में वे डीएम न हों तो कम से कम उन्होंने कोई फैलोशिप की हो। सूत्रों की मानें तो एम्स प्रशासन ने इस प्रस्ताव पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई। आखिरकार विभाग को ओपीडी को सीमित करने का निर्णय लेना पड़ा है। हालांकि सोमवार को लगने वाली ओपीडी यथावथ रहेगी।एम्स की कार्यकारी प्रवक्ता डॉ. निरुपमा मदान ने कहा, उन्हें मामले में आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं है। कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख ही इस पर कुछ जवाब दे सकते हैं।एम्स प्रशासन के इस निर्णय के बाद दिल के मरीज बच्चों के लिए समस्या खड़ी हो सकती है, क्योंकि आरएमएल, जीबी पंत और सफदरजंग अस्पतालों में पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी की बहुत बेहतर उपचार व्यवस्था नहीं है। सफदरजंग में कुछ काम हुआ है, लेकिन एम्स की तुलना में यह नाकाफी है।

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