(अमन न्यूज़ )सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा में बीते 10 से 15 वर्ष के सभी प्रमुख भूमि अधिग्रहण मामलों का व्यापक विश्लेषण किया जाना चाहिए। शीर्ष कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी की ओर से करोड़ों रुपये का फर्जी मुआवजा बांटने के मामले में जांच कर रही समिति को इसके लिए चार हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता व जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने साथ ही यूपी सरकार व नोएडा अथॉरिटी से पूछा, फर्जी मुआवजा बांटने में प्रथमदृष्टया शामिल मिले अफसरों पर क्या विभागीय कार्रवाई की गई? पीठ ने 4 हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर जवाब देने को कहा।
पीठ ने आदेश में कहा, तथ्यों की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट हमारे व्यापक जांच के निर्देश के बावजूद अतिरिक्त मुआवजा जारी करने के सिर्फ एक मामले के इर्द-गिर्द घूमती है। रिपोर्ट से स्पष्ट है कि समिति ने हमारे आदेशों के दायरे को समझने की भी परवाह नहीं की। यह पता लगाने का प्रयास नहीं किया कि अन्य भारी अधिग्रहण मामलों में मुआवजे का भुगतान कानूनी ढंग से और हमारे आदेशानुसार किया गया था या नहीं।
अब सुनवाई 17 जनवरी को होगी। पीठ ने तब तक नोएडा के लॉ ऑफिसर वीरेंद्र सिंह नागर समेत दो अधिकारियों को गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत को जारी रखने का आदेश दिया है।
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