मुख्यमंत्री चन्नी भदौड़ सीट से भी मैदान में उतरे
( अमन न्यूज़)
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी इस बार अपनी परंपरागत चमकौर साहिब सीट से साथ भदौड़ सीट से भी चुनाव लड़ेंगे। चन्नी के लिए भदौड़ सीट कितनी सुरक्षित रहेगी, इस पर सवालिया निशान है। चार साल से भदौड़ में कांग्रेस की कमान किसी भी नेता के हाथ में नहीं रही है और स्थानीय कांग्रेसी नेताओं में जबरदस्त धड़ेबंदी है।भदौड़ सीट के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो इस सीट से अकाली दल 1972 से 1985 तक लगातार चार बार और कांग्रेस 1997 से 2007 तक तीन बार चुनाव जीत चुकी है। 2017 में भदौड़ सीट से पीरमल सिंह धौला ने आप उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की, लेकिन बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। उस समय के चुनाव परिणाम की खास बात यह रही कि आप प्रत्याशी के जीतने के बाद कांग्रेसी प्रत्याशी अकाली दल के बाद तीसरे नंबर पर रहा था।पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा भदौड़ में आप के विधायक को कांग्रेस में शामिल करा लिया गया। परंतु स्थानीय स्तर पर कांग्रेस में जारी धड़ेबंदी ने इस उपलब्धि को इतना कमजोर कर दिया कि कैप्टन सरकार ने भदौड़ में पंचायतों के लिए घोषित ग्रांटों की पूरी राशि भी जारी नहीं की।इस बार भदौड़ सीट से कांग्रेस के टिकट के लिए जहां हलका विधायक पिरमल सिंह धौला प्रमुख दावेदार थे वहीं, इस हलके से दो बार पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुकीं सुरिंदर कौर, मलकीत कौर सहोता, मनविंदर कौर पक्खों, परमजीत सिंह मौड़, सुखविंदर सिंह धालीवाल, जगतार सिंह धनौला, राजविंदर सिंह शीतल, हरप्रीत सिंह नैणेवाल भी दावेदारी जता रहे थे। दूसरी ओर स्थानीय नेताओं के बीच धड़ेबंदी को देखते हुए यह कयास भी पहले से ही लगाए जाने लगे थे कि कांग्रेस हाईकमान भदौड़ में किसी बाहरी प्रत्याशी को टिकट दे सकता है। इस पूरी कवायद के बीच अब चन्नी के लिए स्थानीय कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना बहुत जरूरी हो गया है, क्योंकि बाहरी प्रत्याशी को शर्तों पर ही समर्थन मिलने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
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