दिल्ली हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायतों पर जताई नाराजगी
(अमन न्यूज़)
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को यौन उत्पीड़न मामले में झूठी शिकायतों पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसी शिकायतों से आपराधिक घटनाओं की गंभीरता कम होने के साथ ही महिला सशक्तिकरण की राह में बाधाएं पैदा करती हैं। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने याचिकाकर्ता (दिल्ली विश्वविद्यालय के एक सहायक प्रोफेसर) के खिलाफ आईपीसी की धारा 354ए (यौन उत्पीड़न)/506 (आपराधिक धमकी) के तहत कथित अपराधों के लिए दर्ज एफआईआर में लगाए गए आरोपों को झूठा करार देते हुए इसे खारिज कर दिया। यौन उत्पीड़न पीड़ितों की तरफ से दायर शिकायतों की सत्यता पर ऐसे मामलों की वजह से कई बार सवाल उठते हैं।न्यायाधीश ने हाल के एक आदेश में कहा था कि यह केवल यौन उत्पीड़न के अपराध को छोटा करता है। हर दूसरी पीड़िता की ओर से दायर आरोपों की सत्यता पर सवाल उठने लगते हैं। कथित तौर पर अवैध निर्माण मामले में अपने पड़ोसी के साथ विवाद के बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनकी पत्नी और खुद को गाली देने और धमकाने पर शिकायतकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्य पर्याप्त न हीं और अपराध का कोई विवरण भी नहीं था। प्रथम दृष्टया संकेत देते थे कि आरोप महज कोरे और विरोधाभासी थे। मामले को व्यापक रूप से अध्ययन से पता चलता है कि परिवार के खिलाफ दर्ज की गई शिकायतों को वापस लेने के लिए एक पक्ष को बाध्य करने के उद्देश्य से मामला दर्ज किया गया।
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