कौन देता था प्रशिक्षण कैसे बनाया गया दहशतगर्द विधवा मां और बहन का भी किया जिक्र
(अमन न्यूज़ )
पाकिस्तानी सेना, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर ए ताइबा कश्मीर में जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने का जाल बुन रहे हैं। आतंकी संगठन मजबूर और गरीब तबके के युवाओं को टारगेट कर उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हैं। यह खुलासा उत्तरी कश्मीर के सीमांत जिले बारामुला के उड़ी सेक्टर में दबोचे गए लश्कर के पाकिस्तानी आतंकी बाबर ने किया है। आतंकवादी अली बाबर ने बताया कि उसके छह आतंकवादियों का समूह मुख्य रूप से पाकिस्तानी पंजाब का था। उसने कहा कि गरीबी के कारण उसे गुमराह किया गया। इसके बाद लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने के लिए लालच दिया गया। मां के इलाज के लिए 20 हजार रुपये आतंकियों की ओर से दिए गए। साथ ही 30 हजार रुपये देने का वादा भी किया गया। हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने वालों में अधिकांश पाकिस्तानी सेना के जवान थे।
आतंकी ने बताया कि उसे इस्लाम और मुसलमान के नाम पर उकसाया गया, साथ ही आतंकवादी बनने पर मजबूर किया गया। बाबर ने बताया कि अपने पिता को जल्दी खो देने की वजह से गरीबी के कारण उसे गुमराह किया गया और लश्कर-ए-तैयबा में शामिल होने का लालच दिया गया। दीपालपुर में उनके परिवार में उनकी विधवा मां और एक दत्तक बहन हैं। परिवार निम्न वर्ग से ताल्लुक रखता है जो बमुश्किल अपनी जरुरतों को पूरा कर पाता है। गरीबी से बचने के लिए बाबर ने सातवीं कक्षा के बाद सरकारी स्कूल से स्कूली शिक्षा छोड़ दी। जिसके बाद उसने 2019 में गढ़ी हबीबुल्लाह कैंप (केपीके) में तीन सप्ताह के प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद 2021 में पुनश्चर्या प्रशिक्षण लिया। पाकिस्तानी सेना, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर ए ताइबा कश्मीर में जिहाद के नाम पर आतंक फैलाने का जाल बुन रहे हैं। आतंकी संगठन मजबूर और गरीब तबके के युवाओं को टारगेट कर उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हैं। यह खुलासा उत्तरी कश्मीर के सीमांत जिले बारामुला के उड़ी सेक्टर में दबोचे गए लश्कर के पाकिस्तानी आतंकी बाबर ने किया है।
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