धमनियों पर भारी पड़ रहा है कोरोना, सचेत रहने की जरूरत
(अमन न्यूज़ )
शरीर में दिल सबसे नाजुक और शक्तिशाली अंग है। आम बोलचाल से लेकर रहन-सहन और दिमाग में चल रही उथल-पुथल तक से प्रभावित होने वाला यह अंग हमारा जीवन चलाता है। फिर भी स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में इसकी ओर कम ही ध्यान दिया जाता है। हाल ही में कोरोना महामारी के बाद लोगों के मन में खौफ था। दिल की धड़कनें बढ़ने लगी थीं। संक्रमण की चपेट में आने के बाद लोग स्वस्थ हुए तो दिल की धमनियां ब्लॉक होने लगीं। राजधानी में विशेषज्ञों के पास ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि कई मामले हैं, जिनमें अनियंत्रित जीवनशैली, कोरोना महामारी, नशे के सेवन आदि वजहों से युवाओं में भी हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं।
विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को डॉक्टरों ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान मरीजों में ह्रदय की परेशानियां बढ़ी हैं। इसके कई मुख्य कारण भी हैं। पहला लोगों में दिल से जुड़ी परेशानी काफी समय से होना है, लेकिन उसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं हैदूसरा कारण लॉकडाउन के बाद से दिल के रोगियों के उपचार में आई रुकावट या फिर समय पर दवाओं का सेवन नहीं करना है। तीसरा कारण आधुनिक जीवनशैली और नशे का सेवन है। इनके अलावा, कोविड-19 महामारी में गंभीर रोगियों के उपचार में इस्तेमाल दवाओं की वजह से भी कुछ दुष्प्रभाव दिख रहे हैं।
दिल्ली के नांगलोई स्थित उजाला सिग्नस अस्पताल और शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर नित्यानंद त्रिपाठी बताते हैं कि कोविड के कारण फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया होता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। ठीक होने के बाद दिल से जुड़ी बीमारियों की आशंका बढ़ती दिख रही है। कोरोना संक्रमण दिल को भी प्रभावित करता है। पोस्ट कोविड में लो ब्लड प्रेशर, हार्ट ब्लॉकेज आदि देखने को मिल रहे हैं। आधुनिक जीवनशैली की वजह से दिल की धमनियों में ब्लॉकेज के मामले सामने आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अभी कुछ मामले ऐसे भी देखने को मिल रहे हैं, जिनमें कोरोना संक्रमण के लक्षण हल्के या मामूली थे, लेकिन बाद में उन्हें दिल से जुड़ी तकलीफ होने लगी। लोगों को दिल से जुड़ी परेशानियों पर गंभीर रहना चाहिए। किसी भी प्रकार की तकलीफ, लक्षण या फिर संदेह होने पर चिकित्सक से परामर्श जरूर लें, क्योंकि समय रहते उपचार की बदौलत जान बचाई जा सकती है।
जीबी पंत अस्पताल के डॉ. प्रेम अग्रवाल का कहना है कि कुछ समय पहले तक दिल की बीमारियों को उम्र से जोड़कर देखा जाता था, लेकिन अब ये 20-25 साल की उम्र के युवाओं में भी दिखने लगी हैं। पहले जन्मजात और 40 वर्ष से अधिक लोगों में सबसे अधिक परेशानी दिखती थी। अब ओपीडी में रोज युवा भी दिल के रोगी दिख रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार, देश में दिल के रोगियों में करीब 50 फीसदी की आयु 50 वर्ष से कम ही दर्ज की जा रही है। जिन मरीजों की मौत दिल की बीमारियों के कारण होती है, उनमें से 85 फीसदी की वजह हृदयाघात है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनियाभर में हर साल 1.78 करोड़ लोगों की मौत दिल की बीमारियों के कारण होती है। भारत की बात करें तो यह संख्या सालाना 30 लाख है। गौर करने वाली बात है कि ट्रांस फैट की वजह से होने वाली दिल की बीमारियों से करीब पांच लाख लोगों की मौत दर्ज की जा रही है।
दिल्ली सरकार की जन्म-मृत्यु पंजीकरण की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2017 में हर पांच में से दो मौतें हृदय रोग के कारण हुई हैं। 2017 में सभी मौतों में हृदय रोग और स्ट्रोक का कारण 19.25 फीसदी दर्ज किया गया था। यह साल 2016 में हुई मौतों की तुलना में 1.6 फीसदी अधिक है।
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