हिंदी में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों की कमी नहीं, विज्ञान व पुलिस पृष्ठभूमि के लोगों ने साझा किए विचार

  हिंदी में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों की कमी नहीं, विज्ञान व पुलिस पृष्ठभूमि के लोगों ने साझा किए विचार


(अमन न्यूज़ )

हिंदी का महत्व आज के वैज्ञानिक और तकनीकी माहौल में उतना ही समृद्ध है, जितना वर्षों पहले था। यही वजह है कि हिंदी को लेकर वैज्ञानिक पृष्ठभूमि के लोग भी इसे विकास का अहम अंग मानते हैं। लोगों को आपस में जोड़ने वाले इस भाषा को लेकर वैज्ञानिक व पुलिस विभाग के अधिकारियों ने अपने विचारों को अमर उजाला के हिंद हैं हम अभियान के तहत साझा किया।

हिन्दी भारत की राजभाषा है। यह हमारी प्राचीनतम भाषा संस्कृत से निकली है। संस्कृत में वैज्ञानिक साहित्य अत्यन्त समृद्ध रहा है। रोचक बात यह कि आधुनिक विज्ञान ने भारतीय पुरातन विज्ञान के अनेकों विषयों को अभी तक छुआ भी नहीं है। ऐसे में आज के वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के परिपेक्ष्य में हिंदी के योगदान को कम आंकना ठीक नहीं है। इसमें ढेरों संभावनाएं हैं।

मैंने अपने स्तर पर 1986-1990 के बीच स्वास्थ्य विज्ञान संबंधी कई जटिल विषयों को सरल हिंदी में लिखने की कोशिश की। कुछ पत्रिकाओं में प्रकाशित भी हुए। 2008 में मैंने दिल्ली स्थित जीनॉमिकी एवं समवेत जीव विज्ञान संस्थान (इंस्टिट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटेग्रेटिव बायोलॉजी) में हिंदी में एक वैज्ञानिक संगोष्ठी करवाई। इसमें देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के करीब 100 विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इस दौरान मानव स्वास्थ्य से संबंधित गूढ़ विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई थी। इसमें एक स्मारिका भी प्रकाशित हुई थी। इसमें प्रतिभागी वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत प्रपत्रों का संकलन किया गया था। इसकी प्रतियां सभी में वितरित कराई गई थी। -डॉ. जीएल शर्मा, पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव बॉयोलॉजी

हिंदी विश्व की प्राचीन, समृद्ध और सरल भाषा होने के साथ हिंदी हमारी राजभाषा भी है। यह हिंदुस्तान को एक रूप में बांधती है। इसके प्रति हमें अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना, हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। हिंदी हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब भी है।

गांधी जी के अनुसार हिंदी आम आदमी की भाषा है। उनके अनुसार हृदय की कोई भाषा नहीं है, हृदय-हृदय से बातचीत करता है और हिंदी हृदय की भाषा है। यही वजह है कि इससे भावनाएं भी जुड़ी हुई हैं, जिससे अपनेपन का अहसास होता है। सभी सुरक्षा बलों में अलग-अलग धर्मों के लोग हैं, लेकिन सभी हिंदी जानते हैं। इसमें रहते हुए यह मेरा अनुभव है कि सुरक्षा बल के सदस्यों के साथ संवाद स्थापित करने के लिए इससे जानदार भाषा कोई दूसरी हो ही नहीं सकती है। -दयाल गंगवार, महानिदेशक, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, एनसीआर सेक्टर


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