पूर्वी दिल्ली के गांव करावल नगर बना सबसे ज्यादा आबादी वाला विधानसभा क्षेत्र

 पूर्वी दिल्ली के गांव  करावल नगर बना सबसे ज्यादा आबादी वाला विधानसभा क्षेत्र


(अमन न्यूज़ )

पिछले करीब तीस साल में पूर्वी दिल्ली का सीमावर्ती गांव करावल नगर सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाली दो विधानसभाओं में तब्दील हो चुका है। गांव की 5000 बीघा जमीन पर करावल नगर विधानसभा और मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र का आधा हिस्सा स्थित है। गांव की जमीन पर निगम के छह वार्ड स्थित हैं, लेकिन गांव के लाल डोरे के भीतर मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। यहां के लोगों को इस बात का मलाल है।

करावल नगर गांव 1940 से पहले ढोढ़ी गांव था। राजपूतों में चौहान और परिहार, गुर्जरों के चार गोत्र पीलवान, वैसला, भाटी और डेढ़ा यहां के मूल निवासी हैं। अनुसूचित जाति के लोग भी यहां शुरू से रहते हैं। गांव के अधिकतर राजपूत खेती करते थे, गुर्जरों का पेशा पशुपालन था। लेकिन बाकी गांवों की तरह 1973 से इनकी जमीनें सरकार ने अधिग्रहीत कर लीं।1980 के बाद गांव की जमीन पर कॉलोनियां बसनी शुरू हुईं। 2011 की जनगणना के अनुसार करावल नगर विधानसभा की जनसंख्या 2.24 लाख और मुस्तफाबाद की जनसंख्या 1.89 लाख थी, अब यह और ज्यादा होगी। गांव के निवासी रोहित पीलवान का कहना है पास की कॉलोनियों का विकास हुआ, साथ में पूरी दिल्ली विकसित हुई, लेकिन उनका गांव विकास की दौड़ में पीछे रह गया। 

गांव में विकास कार्य के नाम पर केवल गलियों की संख्या बढ़ी। घर कच्चे से पक्के हो गए और आबादी बढ़ गई। गांव की आबादी करीब 5000 है। लेकिन गांव में कम्यूनिटी सेंटर नहीं है। गांव का पंचायत घर डीडीए ने अधिग्रहीत किया है, यहां कम्यूनिटी सेंटर बनना है, लेकिन कब बनेगा यह तय नहीं है। गांव में कोई पार्क नहीं है, गांव का सरकारी स्कूल 8 साल से बंद है। गांव के अधिकतर युवा बेरोजगार हैं। 

गांव की जमीन पर वेस्ट करावल नगर, वेस्ट कमल विहार, अंकुर एन्क्लेव, प्रकाश विहार, मुकुंद विहार, न्यू सभापुर, शिव विहार और शहीद भगत सिंह कॉलोनी बस गई है। इनका जनसंख्या घनत्व बाकी दिल्ली की अपेक्षा बहुत ज्यादा है। गांव की 600 बीघा जमीन पर सैनिकों का अभ्यास केंद्र स्थापित है

गांव की गलियों में नौ महीने पहले सीवर की लाइन डाली गई थी, तब इसे खोद दिया गया था। सीवर लाइन अभी तक चालू नहीं हुई है। आधे घंटे की बारिश में पूरा गांव पानी से भर जाता है। 

करावल नगर में डीटीसी का बस अड्डा तो है, लेकिन पूरे दिन में यहां से 227 नंबर की दो बसें नई दिल्ली को जाती हैं। बाकी ऑटो स्टैंड के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

गांव में 100 साल पुराना शिव मंदिर आज भी आस्था का केंद्र है। तीज-त्यौहार के मौके पर महिलाएं यहां प्रसाद चढ़ाती हैं। गांव के ज्यादातर लोग किराएदारों के सहारे जीवनयापन कर रहे हैं। हुक्का, खाट और पगड़ी जैसी परंपरा आज भी यहां देखने को मिलती है।

राजेश पायलट गुर्जरों के सबसे बड़ेे नेता थे, गांव के चौक का नाम उनके नाम पर रखा गया, लेकिन आज यह अवैध रूप से ऑटो स्टैंड बन गया है।

गांव में निगम की एक डिस्पेंसरी है, अस्पताल करीब 10 किलोमीटर दूर है, इमरजेंसी में लोगों को बहुत ज्यादा परेशानी होती है।

गाजियाबाद बॉर्डर से करीब एक किमी तक लगने वाला यह गांव विकास की दौड़ में पिछड़ गया, क्योंकि सरकारी महकमे ने इसे हमेशा नजरंदाज किया।

जलभराव गांव की सबसे बड़ी समस्या है, क्योंकि गांव में पानी निकलने का कोई इंतजाम अभी तक नहीं हुआ है।



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