विरोध की लहर को देश के अंतिम छोर तक पहुंचाएंगे, किसान मोर्चा तैयार
(अमन न्यूज़ )
किसानों के संघर्ष के साथ शुरू विरोध के जन आंदोलन का रूप लेने के बाद इसे देश के अंतिम छोर तक पहुंचाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने कमर कस ली है। 20 से अधिक राज्यों के करीब 300 किसान संगठनों के जुड़ने के बाद आंदोलन को विस्तार देने की रणनीति तैयार की जा रही है। जल्द ही संयुक्त किसान मोर्चा की संबंधित प्रांतों में राज्य स्तरीय इकाइयां गठित की जाएंगी, ताकि सुदूर क्षेत्रों के किसानों को भी आंदोलन में बराबरी से अपनी बात रखने का मौका मिल सके।
मोर्चा के सदस्य शिवकुमार (कक्काजी) ने बातचीत में कहा कि आंदोलन से किसानों के साथ दूसरे वर्ग भी जुड़ गए हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत मिलने वाली छूट का कुछ लोगों को फायदा मिला, लेकिन आम उपभोक्ताओं को महंगाई से जूझना पड़ रहा है। ठीक इसी तरह कृषि कानूनों, एमएसपी की गारंटी सहित किसानों की सभी मांगों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव आमजन पर पड़ेगा।
कक्काजी ने कहा कि मोर्चा की राज्य स्तरीय इकाई के गठन के बाद जिला और गांवों के स्तर पर भी पहुंच होगी। इससे किसी भी क्षेत्र के किसान, श्रमिक, मछुआरे या इस वर्ग के लोगों को जुड़ने का मौका मिलेगा।
नौ महीने के आंदोलन में किसानों की मांगों पर सुनवाई नहीं हुई। सरकार के इस तरह के रवैये को देखते हुए मोर्चा ने सभी राज्यों में विस्तार करने का निर्णय लिया है। छोटे-छोटे संगठनों को भी जोड़ा जाएगा, ताकि किसान मोर्चा की पहुंच का सभी राज्यों के किसानों को फायदा मिल सके। कक्काजी ने कहा कि सरकार के इशारे पर चलने वाले कुछ किसान संगठन हैं।
उनकी कोशिश आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। किसानों को लाभकारी मूल्य के बजाय स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के तहत सी 2 के साथ 50 फीसदी लाभ किसानों को देने की मांग है।
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