किसान संसद में विद्युत संशोधन विधेयक वापस लेने का प्रस्ताव पारित
( अमन न्यूज़ )
किसान संसद में शुक्रवार को विद्युत संशोधन विधेयक तत्काल वापस लेने की सरकार से मांग की गई है। सभी पहलुओं पर बहस के बाद इस प्रस्ताव को किसान संसद में पारित कर दिया गया। सरकार की तरफ से 30 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा को विद्युत संशोधन विधेयक-2020 वापस लेने के आश्वासन के बाद भी मॉनसून सत्र में कार्यावली के लिए सूचीबद्ध किए जाने पर सदस्यों ने सवाल उठाए।
सदस्यों ने बैठक में आरोप लगाया कि सरकार की तरफ से ऐसे किसी विधेयक को पेश न करने के वादे के बाद भी मुकर गई। इसे राष्ट्रीय संसाधन बताते हुए सभी वर्ग के मूल अधिकार के तौर पर देखने की अपील की। सस्ती, पर्याप्त और उच्च गुणवत्ता बिजली की आपूर्ति, कृषि आजीविका के लिए किसानों के लिए जरूरी बताया गया। इससे डेयरी, आटा-चक्की सहित छोटे उद्यम भी वाणिज्यिक शुल्क के दायरे में होंगे। किसानों ने इस कहा कि इससे निजी बिजली कंपनियों का मुनाफा बढ़ेगा।
बुनियादी सेवा के निजीकरण का किसानों के साथ साथ उपभोक्ताओं को भी महंगाई से जूझना पड़ेगा। विधेयक से किसानों और उपभोक्ताओं क्रॉस-सब्सिडी का लाभ मिलने में भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। योजनाएं, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी)होंगी, जिससे किसानों के लिए प्री पेड मीटर का प्रावधान होगा और सब्सिडी पूर्ण तौर पर समाप्त की जा सकती है।
किसानों को बढ़े हुए बिलों का भुगतान करना होगा। नई व्यवस्था के तहत उपभोक्ताओं को देरी और बकाया राशि का भुगतान करने की मजबूरी होगी, जो सिंचाई के लिए भूजल पर निर्भर किसानों की मुश्किलें बढ़ाएगा।
विद्युत संशोधन विधेयक-2020 या 2021 तत्काल हो वापस
संसद के मौजूदा या अगले सत्रों में इस तरह के विधेयक ने पेश करें
किसानों, कुटीर उद्योगों सहित ग्रामीण उत्पादन और प्रसंस्करण क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा सहित और नागरिक सेवाएं मुहैया की जाएं। बुनियादी संसाधन होने के नाते नई नीति के तहत ग्रामीणों को मुफ्त बिजली की नियमित आपूर्ति से किसानों को लाभ मिलेगा
Comments