आजीविका कमाने वाले सदस्य की मौत का परिजनों को मुआवजा देने पर मांगा जवाब
(अमन न्यूज़ )
नई दिल्ली। उच्च न्यायालय ने कोविड-19 की वजह से किसी परिवार के आजीविका कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति की मौत पर परिजनों को मुआवजा प्रदान करने पर जवाब मांगा है। अदालत ने सरकार की योजना के क्रियान्वयन के आग्रह से जुड़ी दो बच्चों की याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। अदालत जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से मरने वाले एक व्यक्ति के बच्चों की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने केंद्र, दिल्ली सरकार तथा अन्य पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय और प्रदान कर दिया। अदालत ने कहा सभी पक्षों ने याचिकाकर्ताओं की शिकायत द्वारा उठाए गए मुद्दों का जल्द समाधान करने के लिए समय मांगा है। ऐसे में वे उन्हें तीन सप्ताह का समय प्रदान कर रही हैं। अदालत ने मामले की सुनवाई 26 अगस्त तय की है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता अनुज अग्रवाल ने कहा कि आजीविका कमाने वाले व्यक्ति की कोविड-19 की वजह से मौत के मामले में परिवारों की सहायता के लिए एक नीति मौजूद है और वह इसे रिकॉर्ड पर रखना चाहते है और उसके लिए समय प्रदान किया जाए।
वहीं बच्चों की ओर से पेश अधिवक्ता बी मल्होत्रा ने कहा कि याचिका अत्यावश्यक प्रकृति की है। हालांकि दिल्ली सरकार द्वारा मुख्यमंत्री कोविड-19 परिवार आर्थिक सहायता नाम से योजना पहले ही शुरू कर दी गई थी, लेकिन उसका फायदा नहीं मिल रहा।
उच्च न्यायालय की एक अवकाशकालीन पीठ ने जून महीने में कोविड-19 से जान गंवाने वाले 41 वर्षीय व्यक्ति की कक्षा सात में पढ़ने वाली बेटी और कक्षा दो में पढ़ने वाले बेटे की याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और उपराज्यपाल को नोटिस जारी किए थे। इन बच्चों के पिता कोरोना वायरस से संक्रमित थे जिन्हें 18 अप्रैल को यहां जयपुर गोल्डन अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उन्हें ऑक्सीजन पर रखा गया था।
याचिका में कहा गया है कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से बच्चों के पिता को बहुत कम ऑक्सीजन प्रदान की गई जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई। इसमें अस्पताल के चिकित्सा निदेशक के उस बयान का भी उल्लेख किया गया जिसमें कहा गया था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से उनके अस्पताल में 20 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक लोगों का जीवन दांव पर लगा है।
याचिका में कहा गया है कि महामारी की वजह से परिवारों के आजीविका कमाने वाले एकमात्र व्यक्ति की मौत के मामलों में निजी स्कूलों में पढ़ रहे उनके बच्चों की शिक्षा से संबंधित योजनाओं को भी तेज गति से क्रियान्वित करने का निर्देश दिया जाए।
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