सर्जरी से संजीवनी पेड़-पौधों को मिल रही है उम्र और सांसें, पर्यावरण भी बेहतर

 सर्जरी से संजीवनी  पेड़-पौधों को मिल रही है उम्र और सांसें, पर्यावरण भी बेहतर


( अमन न्यूज़ )

आपको हैरानी हो सकती है कि इंसानों की तरह पेड़ों की भी सर्जरी मुमकिन है। इसके सहारे कमजोर और बीमार पड़े पेड़ों को संजीवनी दी जा रही है। इस दौरान मर्ज के हिसाब से मरहम लगाया जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि एक बार के इलाज से पेड़ अपनी औसत उम्र पूरी करते हुए आबोहवा को भी सेहतमंद बनाए रखते हैं। इस तरीके से हरित क्षेत्र को बगैर नुकसान पहुंचाए पेड़ों को बचाया जा रहा है। दिलचस्प यह कि सर्जरी में फोकस 80 साल से ज्यादा उम्र पार करने वाले विरासत वृक्षों पर रहता है। स्पेन दूतावास के बाहर एक विरासत वृक्ष को इलाज के बाद दोबारा उसी स्थान पर लगाया गया है।

दरअसल, सड़कों की खुदाई और मिट्टी के कटाव से पुराने वृक्षों की जड़ें कमजोर हो रही है। वहीं, नुकसान बैक्टीरिया के संक्रमण व फंगस से सेहत बिगड़ रही है। इससे कई बार यह हवा के हल्के झोंके भी नहीं झेल पाते। इससे समस्या से उबरने के लिए नई दिल्ली पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने पेड़ों को सर्जरी शुरू की है। इसके तहत खोखले होने की सूरत में पेड़ों की प्लास्टर ऑफ पेरिस से फिलिंग होती है। इससे नए सिरे से मजबूती मिल जाती है और वह तेज हवा के झोंके से भी नहीं उखड़ते। वहीं, जर्जर पेड़ों को गिरने से बचाने के लिए तना, जड़ या टहनियां का भी इलाज होता है। 

एनडीएमसी के हॉर्टिकल्चर (डायरेक्टर) एस. चिलैय्या का कहना है कि पुराने हो चुके कमजोर और खोखले पेड़ों के संरक्षण के लिए उनका इलाज किया जा रहा है। कंक्रीट से घिरे रहने और बार बार की खुदाई से मिट्टी से पेड़ों जुड़े नहीं रह पाते हैं। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए जरूरी इलाज दिया जा रहा है। अगर, बात इससे भी नहीं बनी तो री प्लांट किया जा रहा है ताकि उनकी खूबसूरती और अहमियत का लोगों को अहसास हो सके

आपको हैरानी हो सकती है कि इंसानों की तरह पेड़ों की भी सर्जरी मुमकिन है। इसके सहारे कमजोर और बीमार पड़े पेड़ों को संजीवनी दी जा रही है। इस दौरान मर्ज के हिसाब से मरहम लगाया जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि एक बार के इलाज से पेड़ अपनी औसत उम्र पूरी करते हुए आबोहवा को भी सेहतमंद बनाए रखते हैं। इस तरीके से हरित क्षेत्र को बगैर नुकसान पहुंचाए पेड़ों को बचाया जा रहा है। दिलचस्प यह कि सर्जरी में फोकस 80 साल से ज्यादा उम्र पार करने वाले विरासत वृक्षों पर रहता है। स्पेन दूतावास के बाहर एक विरासत वृक्ष को इलाज के बाद दोबारा उसी स्थान पर लगाया गया है।

दरअसल, सड़कों की खुदाई और मिट्टी के कटाव से पुराने वृक्षों की जड़ें कमजोर हो रही है। वहीं, नुकसान बैक्टीरिया के संक्रमण व फंगस से सेहत बिगड़ रही है। इससे कई बार यह हवा के हल्के झोंके भी नहीं झेल पाते। इससे समस्या से उबरने के लिए नई दिल्ली पालिका परिषद (एनडीएमसी) ने पेड़ों को सर्जरी शुरू की है। इसके तहत खोखले होने की सूरत में पेड़ों की प्लास्टर ऑफ पेरिस से फिलिंग होती है। इससे नए सिरे से मजबूती मिल जाती है और वह तेज हवा के झोंके से भी नहीं उखड़ते। वहीं, जर्जर पेड़ों को गिरने से बचाने के लिए तना, जड़ या टहनियां का भी इलाज होता है। 

एनडीएमसी के हॉर्टिकल्चर (डायरेक्टर) एस. चिलैय्या का कहना है कि पुराने हो चुके कमजोर और खोखले पेड़ों के संरक्षण के लिए उनका इलाज किया जा रहा है। कंक्रीट से घिरे रहने और बार बार की खुदाई से मिट्टी से पेड़ों जुड़े नहीं रह पाते हैं। ऐसे में उन्हें बचाने के लिए जरूरी इलाज दिया जा रहा है। अगर, बात इससे भी नहीं बनी तो री प्लांट किया जा रहा है ताकि उनकी खूबसूरती और अहमियत का लोगों को अहसास हो सके

हरियाली की धरोहर को बचाने की मुहिम के तहत इमली, पिलखन, पीपल, नीम और अर्जुन के अलावा कई दूसरी प्रजातियों के विरासत वृक्षों को बचाया जा रहा है। इनकी विरासत वृक्षों की उम्र 80 वर्ष से अधिक है। नई दिल्ली क्षेत्र में अलग अलग प्रजातियों के करीब 15 हजार विरासत वृक्ष हैं। एक सर्वे में सामने आया है कि पिछले सात वर्षों में 1,813 पेड़ों को नुकसान हो चुका है। ऐसे में परिषद की नजर उन पेड़ों पर टिकी हैं, जिन्हें संजोया जा सकता है। इसमें सर्जरी, री प्लांट के अलावा दूसरी तकनीक का भी सहारा लिया जा रहा है। 


जड़ों में खराबी आने से पहले प्रभावित हिस्से को काटकर किया जाता पेड़ो अलग।

इसके बाद मिट्टी में स्थायित्व देने के लिए अधिक गहराई तक जड़ों को पहुंचाया जाता है।

पेड़ उखड़ने पर उसी जगह पर गहरी खुदाई गई किया जाता फिर से प्लांट।

कटान रोकने के लिए पानी के बहाव को भी किया जाता बंद।

खोखले पड़ों को प्लास्टर ऑफ पेरिस से किया जाता मजबूत



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