एक हफ्ते और टल सकती है लालू की रिहाई, वकील हड़ताल पर, 17 अप्रैल को मिली थी जमानत

(अमन न्यूज़)

एक हफ्ते और टल सकती है लालू की रिहाई, वकील हड़ताल पर, 17 अप्रैल को मिली थी जमानत

 बताया जा रहा है कि इस समय झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने अधिवक्ताओं के कोर्ट में आने पर रोक लगा रखी है, इस वजह से लालू की रिहाई में भी देरी हो रही है. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले मामले में 17 अप्रैल को झारखंड हाई कोर्ट द्वारा जमानत दे दी गई थी. लेकिन 11 दिन बाद भी लालू की रिहाई नहीं.में भी देरी हो रही है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण की वजह से झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने ये फैसला ले रखा  है  लालू की रिहाई में देरी क्यों?


बताया जा रहा है कि अब 3 मई को ही झारखंड स्टेट बार काउंसिल में अधिवक्ता आने वाले हैं, ऐसे में तभी लालू की रिहाई भी संभव लालू की रिहाई में देरी क्यों?


बताया जा रहा है कि अब 3 मई को ही झारखंड स्टेट बार काउंसिल में अधिवक्ता आने वाले हैं, ऐसे में तभी लालू की रिहाई भी संभव  बताई जा रही है. मालूम हो कि 17 अप्रैल को जस्टिस अपरेश कुमार सिंह ने लालू की जमानत पर फैसला सुनाया था. उस फैसले के बाद ही लालू लालू के वकील देवर्षि मंडल की तरफ से बताया गया था कि वे 19 अप्रैल को रांची स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जरिए आरजेडी प्रमुख की रिहाई करवा देंगे. लेकिन इससे पहले कि वे ऐसा कर पाते, 18 अप्रैल को झारखंड स्टेट बार काउंसिल की एक मीटिंग हुई और वहां पर ये फैसला ले लिया गया कि अभी के लिए को ई भी अधिवक्ता कोर्ट नहीं आएगा. इसके बाद 25 अप्रैल को भी उन पाबंदियों को 2 मई तक बढ़ा दिया गया. रिहाई की प्रक्रिया काफी लंबी

ऐसे में अब लालू के वकील बता रहे हैं कि जब तक ये पाबंदियां खत्म नहीं हो जाती, आरजेडी प्रमुख की रिहाई नहीं हो सकती है. वैसे लालू प्रसाद की रिहाई का इंतजार तो उनकी पार्टी के तमाम कार्यकर्ता भी कर रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया काफी लंबी बताई जा रही है. लालू के वकील  ने बताया है कि वे आरजेडी प्रमुख से एक साइन्ड एप्लिकेशन लेंगे और फिर उसे सीबीआई कोर्ट में देंगे. उस समय लालू का कोर्ट में होना जरूरी नहीं होगा क्योंकि  एप्लिकेशन पर उनके हस्ताक्षर पहले से होंगे. इसके बाद सीबीआई कोर्ट की तरफ से लालू की कॉपी बिरसा मुंडा जेल भेजी जाएगी और फिर आखिर में उसे तिहाड़ जेल भेजा इन शर्तों पर मिली जमानत

लालू प्रसाद यादव को कोर्ट की तरफ से जमानत जरूर दी गई है, लेकिन वे बिना इजाजत देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं. कोर्ट की तरफ से लालू का पासपोर्ट भी मांगा गया है और उनसे कहा गया है कि वे बेल के दौरान अपना पता नहीं बदलेंगे और उनका मोबाइल नंबर भी चेंज नहीं होना चाहिए. मालूम हो कि चारा घोटाले से संबंधित दूसरे मामलों में लालू प्रसाद यादव को पहले ही जमानत मिल चुकी है, ऐसे में दुमका कोषागार केस में बेल मिलने से उनका जेल से बाहर आने का रास्ता साफ हो चुका है 

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