(अमन न्यूज़)
ऑक्सीजन और बेड की तलाश में आदिवासी इलाकों से लोग 100-100 किलोमीटर तक का सफर तय कर शहरों की ओर पहुंच रहे हैं, लेकिन शहरों में भी उन्हें ऑक्सीजन और बेड नहीं मिल पा रहा है.
गुजरात में कोरोना संक्रमण आदिवासी इलाकों में फैल गया है. ऑक्सीजन और बेड की तलाश में आदिवासी इलाकों से लोग 100-100 किलोमीटर तक चलकर शहरों की ओर पहुंच रहे हैं, लेकिन शहरों में भी उनकी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. सूरत जिले के पलवाड़ा में एक मरीज का ऑक्सीजन लेवल कम होने पर उसे सूरत शहर के न्यू सिविल अस्पताल में आना पड़ा. हालांकि सतीश चौधरी नाम के इस मरीज की दिक्कतें यहां भी कम नहीं हुई. न्यू सिविल अस्पताल और SMIMER अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत होने से उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं मिल सकी.इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार नर्मदा जिले के गंगा पारा गांव में 75 साल की जेनी नरसिंह बसावा थोड़ी भाग्यशाली रहीं, वह न्यू सिविल अस्पताल से स्वस्थ होकर बाहर निकलीं, वो इस अस्पताल में 23 अप्रैल से भर्ती थीं, वे इस अस्पताल में गंभीर हालत में पहुंची थीं, उस वक्त उन्हें सांस लेने में दिक्कत थीं, वे यहां 4 घंटे तक सफर करके पहुंची थीं. से भर्ती थीं, वे इस अस्पताल में गंभीर हालत में पहुंची थीं, उस वक्त उन्हें सांस लेने में दिक्कत थीं, वे यहां 4 घंटे तक सफर करके पहुंची थीं. सूरत के NCH अस्पताल में दूरदराज से पेशेंट पहुंच रहे हैं. यहां भरूच, नर्मदा, तापी और दांग जैसे जिलों से मरीज पहुंच रहे हैं यहां भरूच, नर्मदा, तापी और दांग जैसे जिलों से मरीज पहुंच रहे हैं. जेनी नरसिंह बसावा ने कहा कि वे जब सगबारा से इस अस्पताल में पहुंचीं तो उनकी हालत बेहद खराब थी, एक बार तो उन्हें लगा कि वे इस बीमारी से हार ही जाएंगी, लेकिन मैंने हौसला नहीं खोया. हमलोग 140 किलोमीटर का सफर तय किए और सूरत पहुंचे. हमारे जिले में कोई बढ़िया अस्पताल नहीं है. इसलिए हमलोग सीधे सूरत आ गए. सूरत और आस-पास 108 एम्बुलेंस चलाने वाले रोशन शाह ने कहा कि हमें 24 घंटे में 100-100 फोन कॉल मिल रहे हैं, निजी अस्पताल में भर्ती मरीज सूरत के न्यू सिविल अस्पताल और SMIMER में भर्ती करवाने की गुहार लगा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इन अस्पतालों में भर्ती करवाने के लिए आए कॉल पर हम एक्शन नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि दोनों अस्पतालों ने हमें कह दिया है कि हमनें अब नए मरीजों की भर्ती सीमित कर दी है.
रोशन शाह ने कहा कि रोजाना हमें अमूमन 300 कॉल मिलते हैं, जिनमें से लगभग 200 कोरोना मरीजों के होते हैं जो सूरत में भर्ती कराने के लिए फोन करते हैं.
Comments