(अमन न्यूज़) अमेरिकी चुनाव को लेकर पाकिस्तानी एक अजीब दुविधा में फंसे नजर आ रहे हैं. अमेरिका में बसे पाकिस्तानी समुदाय को लेकर ये तय माना जा रहा था कि वो साल 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए ही वोट करेंगे. हालांकि, डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उप-राष्ट्रपति के पद पर भारतीय-अफ्रीकी मूल की कमला हैरिस को खड़ा करने के बाद से कई पाकिस्तानी-अमेरिकी के लिए फैसला करना मुश्किल हो गया है.
लाखों पाकिस्तानी-अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप का कड़ा विरोध करते आए हैं. ट्रंप के इस्लामोफोबिया और प्रवासियों को लेकर उनकी नीति को लेकर पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय में गुस्सा है. अप्रैल 2019 में, जब पाकिस्तान ने अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया था तो ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगा दिए थे. अमेरिका ने पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारियों समेत कई लोगों के वीजा रोक देने की धमकी भी दी थी.
पिछली बार भी जब ट्रंप ने चुनाव लड़ा था तो पाकिस्तानी अमेरिकी एकमत थे कि ट्रंप के आने पर पाकिस्तान और मुस्लिमों के खिलाफ नफरत बढ़ेगी. इस समुदाय के कई लोगों ने ये भी कहा कि ट्रंप के खिलाफ उम्मीदवार चाहे कोई भी हो, वो ट्रंप को वोट नहीं देंगे. ट्रंप ने साल 2017 में ट्रैवल बैन लगाया था जिसमें से ज्यादातर मुस्लिम देश थे. इस दौरान, कई मुस्लिमों को अमेरिका जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा. वैसे इस सूची में पाकिस्तान का नाम नहीं था लेकिन पाकिस्तानियों को डर लगा कि अगला नंबर उनका हो सकता है. ट्रंप और मोदी की दोस्ती की वजह से भी अमेरिकी-पाकिस्तानी समुदाय उनसे दूरी बनाकर चल रहा था.
इन सबके बावजूद, पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय एक बार फिर से ये सोचने पर मजबूर हो गया है कि क्या उन्हें ट्रंप को समर्थन देना चाहिए. इसके पीछे वजह रिपब्लिकन का कैंपेन या डेमोक्रैट्स के उम्मीदवार के तौर पर जो बाइडन का नामांकन नहीं है बल्कि बाइडन की रनिंग मेट के तौर पर उनकी पसंद कमला हैरिस हैं.
कमला हैरिस उप-राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनने वाली पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला हैं और उनकी भारतीय विरासत भी खूब चर्चा में है. कमला हैरिस की मां श्यामला गोपालन चेन्नै में पैदा हुई थीं और शोध कार्य के लिए 1960 में भारत से अमेरिका आई थीं. उनके पिता डोनाल्ड हैरिस एक विख्यात अर्थशास्त्री हैं. वो जमैका से अमेरिका आए थे. कमला हैरिस की इस पहचान की वजह से तमाम भारतीय उत्साहित हैं तो पाकिस्तानी मायूस हुए हैं.
बाइडन अगर चुनाव जीतते हैं तो वह अमेरिका के सबसे बुजर्ग राष्ट्रपति होंगे. यानी अगले चुनाव में कमला हैरिस डेमोक्रैटिक पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार भी बन सकती हैं. यानी ये चुनाव सिर्फ उप-राष्ट्रपति के लिए ही नहीं बल्कि अमेरिका के अगले राष्ट्रपति का भी हो सकता है.
अब पाकिस्तानी-अमेरिकियों को चिंता ये है कि हैरिस जो कैलिफोर्निया से सांसद हैं, वो अगर चुनी जाती हैं तो कश्मीर पर उनका रुख पक्षपातपूर्ण हो सकता है. कइयों को ये भी डर है कि कमला हैरिस चुनाव जीतने पर पाकिस्तान के मुकाबले भारत को ज्यादा तवज्जो देंगी. हालांकि, कई विश्लेषक पाकिस्तानियों की इस धारणा से बिल्कुल सहमत नहीं हैं.
विल्सन सेंटर में साउथ एखिया के सीनियर एसोसिएट और एशिया कार्यक्रम के उप-निदेशक माइकल कुगलैमन पाकिस्तानी न्यूज चैनल समा से कहते हैं, मुझे नहीं लगता है कि हैरिस पाकिस्तानी-अमेरिकियों से अपनी भारतीय पहचान की वजह से दूरी बनाकर रखेंगी. वास्तव में, कमला हैरिस के भारत-अमेरिका के रिश्तों को लेकर जो विचार हैं, उससे भले ही पाकिस्तानी-अमेरिकी मतदाता या फिर विदेश नीति में ज्यादा दिलचस्पी लेने वाले लोग दूरी बना सकते हैं. लेकिन कश्मीर ही एक ऐसा मुद्दा है जहां पर भारतीयों का उत्साह फीका पड़ रहा है.
डेमोक्रैटिक पार्टी के बाइडन अगस्त 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने को लेकर अपनी निराशा जाहिर कर चुके हैं. बाइडन भारत के नागरिकता (संशोधन) कानून के भी आलोचक रहे हैं. चुनाव से पहले बाइडन ने अमेरिकी मुस्लिमों के लिए अलग से एक पॉलिसी पेपर भी जारी किया है जिसमें उन्होंने कश्मीर समेत तमाम मुद्दों पर अपनी नीति स्पष्ट की है. जाहिर है कि कश्मीर और नागरिकता कानून जैसे मुद्दों पर अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कभी मुखर तौर पर भारत के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की जबकि बाइडन का रुख भारत के लिए चुनौती बन सकता है.
भारतीय मूल की कमला हैरिस खुद कश्मीर पर अपने विचार को लेकर कई बार सुर्खियों में आ चुकी हैं. जब भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारतीय मूल की सांसद प्रमिला जयपाल से मुलाकात करने से इनकार कर दिया था तो कमला हैरिस ने ट्विटर पर इसकी कड़ी आलोचना की थी. जयपाल ने इससे पहले हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में कश्मीर मुद्दे पर एक प्रस्ताव पेश किया था.
कमला हैरिस भारत और अमेरिका के मजबूत संबंधों की वकालत करती हैं लेकिन अनुच्छेद 370 और कश्मीर को लेकर भारत की आलोचना भी करती रही हैं. अक्टूबर 2019 में कमला हैरिस ने कहा था, हमें कश्मीरियों को ये याद दिलाने की जरूरत है कि वे इस दुनिया में अकेले नहीं है. हम हालात पर नजर रख रहे हैं. अगर जरूरत पड़ती है तो हम हस्तक्षेप करेंगे. जाहिर है कि उप-राष्ट्रपति पद के तौर पर भी कमला हैरिस का रुख बहुत ज्यादा नहीं बदलने वाला है. अब ये चुनाव के बाद ही पता चलेगा कि अमेरिकी-पाकिस्तानियों ने किसे पसंद किया और कमला हैरिस अगर उप-राष्ट्रपति बनती हैं तो भारत और पाकिस्तान को लेकर उनका रुख क्या रहेगा.
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