(अमन न्यूज़) विपक्ष ने योगी सरकार की कई मोर्चों पर आलोचना तो की लेकिन वो योगी सरकार के सामने उदास और अदृश्य ही नजर आया. ट्विटर और मीडिया में विपक्षी दलों के नेता एक्टिव दिखाई दिए, लेकिन ऐसे कम ही मौके आए जब मुख्य विरोधी दलों का नेतृत्व सड़कों पर नजर आया हो
- योगी आदित्यनाथ सरकार के तीन साल
- योगी सरकार के सामने विपक्ष नदारद
- सड़कों पर नहीं दिखा सपा-बसपा का संघर्षयूपी की सत्ता संभालते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तीन साल हो गए हैं. इस दौरान योगी सरकार ने प्रदेश से जुड़े कई ऐसे फैसले भी लिए, जिन्हें लेकर भारतीय जनता पार्टी ने तो पीठ थपथपाई लेकिन बाहर आलोचना हुई. विपक्ष ने योगी सरकार की कई मोर्चों पर आलोचना तो की लेकिन वो योगी सरकार के सामने उदास और अदृश्य ही नजर आया. ट्विटर और मीडिया में विपक्षी दलों के नेता एक्टिव दिखाई दिए, लेकिन ऐसे कम ही मौके आए जब मुख्य विरोधी दलों का नेतृत्व सड़कों पर नजर आया हो.
हाल ही में सबसे बड़ी घटना नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हुई, जब राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किए गए. इस दौरान कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुईं. कई प्रदर्शनकारियों की जान गई तो पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए. बिजनौर जिले में तो पुलिस की गोली से एक युवक की मौत का मामला सामने आया. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी नदारद दिखे.
दोनों ही पार्टी के नेता ट्विटर और मीडिया के जरिए नागरिकता कानून और उस पर हुई हिंसा की आलोचना करते रहे. संसद में भी विरोध किया लेकिन ये विरोध सड़क पर दिखाई नहीं दिया.
विपक्ष की इस उदासीनता पर aajtak.in ने यूपी की राजनीति को गहराई से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार विश्वनाथ गोकर्ण से बात की. उन्होंने कहा, 'विपक्ष की सबसे बड़ी समस्या नेतृत्वहीन होना है. विपक्ष के नाम पर सपा, बसपा और कांग्रेस हैं. सपा की बात की जाए तो वो परिवार के झगड़े में उलझकर रह गई है. लिहाजा मुलायम सिंह या अखिलेश यादव किसी की भी पार्टी पर पूरी पकड़ नहीं रही और शिवपाल बाहर ही हो गए.
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