(अमन न्यूज़) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए 2019 उपलब्धियों का साल रहा है. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में 303 सीटें जीतकर न केवल केंद्र की सत्ता में दोबारा वापसी की बल्कि मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में बीजेपी के मूल एजेंडे को अमलीजामा पहनाने में कामयाब रही है. लेकिन आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती छाई हुई है तो सीएए और एनआरसी को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है. ऐसे में साल 2020 नरेंद्र मोदी के लिए चुनौती भरा होगा.
सियासी जंग जीतने की चुनौतियां
बीजेपी भले ही 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने में कामयाब रही हो, लेकिन राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में उसकी राह आसान नहीं रही है. कांग्रेस के साथ मिलकर क्षेत्रीय दल महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्य की सत्ता से बीजेपी को बेदखल करने में कामयाब रहे हैं. ऐसे में साल 2020 में दिल्ली और बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधों पर होगी.
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का मात देकर 20 साल के सत्ता के वनवास को खत्म करना बीजेपी के बड़ी चुनौती है तो बिहार में आरजेडी-कांग्रेस की जोड़ी नीतीश कुमार के सामने कड़ा मुकाबला पेश कर रही है. हाल में हुए विधानसभा चुनाव में जिस तरह से बीजेपी को हार मिली है, ऐसे में उसका सियासी असर बिहार और दिल्ली के चुनाव पर भी पड़ सकता है.
अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतने की चुनौती
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिम देश के कई शहरों में सड़क पर उतर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को सफाई देनी पड़ी है कि इस कानून से देश के किसी भी मुसलमान पर कोई असर नहीं पड़ेगा. जम्मू-कश्मीर को स्पेशल दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार ने हटा दिया, लेकिन अभी भी वहां पर स्थिति सामान्य नहीं हुई है. घाटी के सैकड़ों राजनीतिक और सामाजिक नेता नजरबंद हैं. ऐसे में जम्मू-कश्मीर से लेकर देश के बाकी हिस्से में अल्पसंख्यक समुदाय के विश्वास को जीतने की मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौती है.
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती
देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ा है. इससे देश की आर्थिक स्थिति डगमगाई हुई है, जिसका असर नौकरियों से लेकर व्यवसाय तक पर पड़ रहा है. सुस्त अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने की तमाम कोशिशों के बावजूद नरेंद्र मोदी सरकार को साल 2019 में बहुत सफलता नहीं मिली है.
देश की आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने, रफ्तार देने और उच्च विकास-दर हासिल करने के लिए मोदी सरकार को कई मोर्चों पर काम करने की चुनौती होगी. आरबीआई ने अनुमान लगाया है कि जनवरी से मार्च 2020 तक खाने-पीने की वस्तुओं में महंगाई बढ़ेगी. महंगाई बढ़ने से मांग प्रभावित होगी, ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देना सरकार के लिए आसान नहीं होगा.
एनडीए को एकजुट रखने का चैलेंज
बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद नाता तोड़कर अलग हो गई है. शिवसेना एनडीए से अलग होने के साथ-साथ कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए कुनबे में जुड़ गई है. बीजेपी के लिए शिवेसना एनडीए से अलग होना किसी बड़े झटके से कम नहीं है. ऐसे ही झारखंड में बीजेपी की सहयोगी आजसू के साथ सीट शेयरिंग पर सहमति न बन पाने पर दोनों की सियासी राह अलग हो गई है.
इसका राजनीतिक असर बीजेपी पर साफ पड़ा है और महाराष्ट्र और झारखंड दोनों जगह सत्ता गवांनी पड़ी है. ऐसे में बीजेपी के बनने वाले नए अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने साल 2020 में एनडीए के कुनबे को जोड़कर रखने की चुनौती है. खासकर बिहार में बीजेपी को जेडीयू के साथ बेहतर तालमेल बनाकर रखना होगा क्योंकि साल के आखिरी में वहां पर विधानसभा चुनाव होने हैं. बीजेपी ने 2015 में जेडीयू से अलग होकर सियासी खामियाजा भुगत चुकी है.
पड़ोसी देशों से बेहतर तालमेल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने देश के अंदर ही नहीं बल्कि बाहरी चुनौतियां से भी पार पाना होगा. पीएम मोदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पड़ोसी देशों के साथ बेहतर तालमेल बनाए रखने की है. पाकिस्तान के मामले में भारत के लिए अब भी यह चुनौती है कि किस तरह से आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ न होने के अपने रुख पर कायम रहते हुए उससे रिश्तों को सामान्य बनाया जाए. इसके अलावा नेपाल, बांग्लादेश जैसे BIMSTEC देशों से रिश्ते मजबूत करने की चुनौती है, जहां चीन का पहले से प्रभाव बन गया है. हमारे पड़ोस में चीन जैसा देश है जो अपनी आक्रामक सामरिक नीति की वजह से हमेशा मुश्किल खड़ा करता रहा है. चीन के साथ हमारे कई अनसुलझे मसले हैं. ऐसे में साल 2020 में पीएम मोदी के सामने पड़ोसी देशों में चीन के प्रभाव को कम कर उनके विश्वास को जीतने की चुनौती होगी.
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