मोदी के शाशन से कही ज़ादा अच्छा शाशन था रावण

भारतीय संस्कृति में रावण का पुतला बुराई के प्रतिक के तौर पर जलाया जाता है किन्तु जब हम  रामायण को जब हम पढ़ते है तो रावण की अच्छी खास बात यह थी कि वह जिस साम्राज्य पर शासन करता था वह सोने की लंका कहलाती थी अर्थात उस राज्य के समस्त लोग धन-धान्य से सम्पन्न थे। किन्तु मोदी जी का साम्राज्य गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा एवं साम्प्रदायिका के जहरिले वातावरण में लोग जीने के लिए  मजबुर हो रहे है। रावण  की दुसरी खास बात यह थी कि वह कभी झूठ नही बोलता था किन्तु मोदीजी के झूठ पर झूठ बोलने का सिलसिला अभी तक खत्म ही नही हुआ। रावण की तीसरी खास बात यह थी कि वह शादी के बाद अपनी पत्नी को धोका देकर कही भागे नही थे किन्तु मोदीजी ने अपनी पत्नी को नजरबन्ध करवाके देश-विदेश भागने का दौरा जारी रखा हुआ है। रावण की चौथी खास बात यह है कि उनहोनें सीता का अपहरण करने के बाद उसकों सम्मान जनक स्थिति में रखा किन्तु मोदीजी के प्रधानमन्त्री रहते देश की महिलाओं पर बढते हुए अत्याचार पर मौन रहना लगातार अपराध को खुला समर्थन है। लगातर भाजपा नेताओं के महिला उत्पीड़न मामलों का सामने आने पर कानुन के हाथ कमजोर नजर आ रहे है। महात्मा गाँधी जिनके अंतिम समय के शब्द भी हे राम! थे ऐसे महामानव की हत्या करने वाले नाथू राम गोडसे क्या आज के समय के राम है? या फिर लड़कियों का पीछा करने वाले, सत्ता का इस्तेमाल कर सरकारी कर्मचारी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वाले तड़ीपार नेता अमित शाह आज के समय के राम है? जब से भारतीय लोकतन्त्र में मोदी सरकार चुनकर आती है तब से देश की अनगिनत समस्याओं में बढ़ोतरी हुई है- कुछ इनके द्वारा समर्थित साप्रदायिक संगठनों द्वारा चर्च पर हमला करवाना, दलित बच्चों को जलाना, बिहार के परबत्ता नामक जगह पर 100 दलित महिलाओं का बलात्कार होना, गाय के नाम इन्सानीयत को खत्म करना, जो भारत के नौजवान देश की रक्षा करते हुए शहीद हो जाते है उन दलित नौजवानों को कफन के लिए दो गज जमीन नही मिलना, जबरजस्ती से धर्म परिवर्तन करवाने के लिए घर वापसी का देश व्यापी स्तर पर कार्यक्रम चलाने पर मोदी जी का चुपी साधना, ऊना-काण्ड,  गाय के नाम गौरक्षकों द्वारा कई कट्टरपन्थियों द्वारा अखलाक जैसे कई दलित-मुस्लमानों का निर्मम तरिके से हत्यायें करवाना, डेल्टा मेघवाल जैसी कई जगहों पर दलित उत्पीड़नों की घटनाओं का बढ़ना, बड़े संस्थानों में सवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लघन करके FTII जैसे बड़े जिम्मेदार संस्थाओं पर अयोग्य व्यक्तियों को नियुक्त कर देना, हैदराबाद जैसे कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में रोहित वेमुला जैसे कई दलित-आदिवासियों को संस्थागत हत्या के लिए प्रशासन द्वारा मजबुर करना, सौ दिनों में कालाधन लाने का वादा करने वाला कालाधन लाना तो दूर की बात है इन्होनें BJP नेता विज्यामाल्या देश के 9000 हजार करोड़ रूपये लेकर भगा दिये जाने पर चुपी साधना और कुछ इनके नेतृत्व वाली सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नही होना, एक वर्ष में दो करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाला दो लाख बेरोजगारों को रोजगार देने में नाकाम होना, देश के युवाओं का बेरोजगारी के दलदल में फँसने में बढ़ोत्तरी होना, देश के गरीब किसानों का ऋण माफ नही होने के कारण किसानों की आत्म-हत्याओं की संख्या का बढ़ना,   ललित मोदी ने 5 हजार करोड़ रूपये, विजय माल्या पर  9 हजार करोड़ रूपये , मेहुल चोक्सी पर  11600 करोड़ रूपये एवं नीरव मोदी 11 हजार करोड़ रूपये लूटकर विदेश भागने पर प्रधानमंत्री की चौकीदारी पर अनेक सवाल उठने लग गए हैं | बढ़ते हुए पेट्रोल एवं डीजल की महंगाई ने अर्थव्यवस्था की तमाम वस्तुओं को  प्रभावित किया है ज़िससे  गरीब एवं मध्यम वर्ग नाराज है | कालेधन एवं आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के नाम पर लागू की गई नोटबंदी के कारण लोगों के सामने आई समस्याओं एवं सैकड़ों लोगों की जान जाने से के कारण बहुत बड़ा वर्ग नाराज है| नोटबंदी के कारण छिनता हुवा  रोजगार,  देश में बढ़ते हुए युवाओं की बेरोजगारी के कारण बढ़ता हुआ अपराध,अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विदेशी मुद्राओं के सामने घुटने टेकता हुआ रूपया, देश के गरीब किसानों का कर्ज़ के अभाव में बढ़ती हुई आत्महत्याए एवं उद्योगपतियों के लिए लगातार बढ़ता हुआ कर्ज , पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए सात लाख से अधिक आदिवासियों को जमीन से बेदखल करना, सैनिकों की बंद पेंशन, सीमा सुरक्षा पर सरकार की कमजोर नीतियों के कारण देश के बढ़ते हुए शहीदों की संख्या, सैनिकों के राफेल विमान में 30000 करोड रुपए से अधिक घोटाला, सीमाओं पर बढ़ती  हुई आतंकवादी गतिविधियां ,देश की सरहदों पर सैनिकों की होने वाली गोपनीय सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण करके दुश्मन देशों के आतंकवादियों को  युद्ध के लिए ललकारना ! जिसके कारण देश की सीमा सुरक्षा पर देश के सैनिकों के शहीद होने की मात्रा में लगातार वृद्धि होना ! शहीद होने वाले सैनिकों के परिवारों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से वंचित रखना | वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में  सेना के पास आयुध कारखानों से सप्लाई की कटौती करना , प्रधानमंत्री का विदेशी यात्राओं पर सात हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च होना एवं घटता हुआ विदेशी निवेश, योजनाओं पर खर्च करने के बजाय उन को प्रचारित प्रसारित करने के लिए विज्ञापनों पर पर करोड़ों अरबों का खर्चा करना, सरकारी संस्थाओं का लगातार निजीकरण की तरफ बढ़ते हुए कदम उदाहरण के लिए देश के पांच एयरपोर्ट एवं रेलवे स्टेशन को उद्योगपतियों के हाथों गिरवी रखना, भारत की राष्ट्रीय सांस्कृतिक धरोहर को पूंजीपतियों की हाथ गिरवी रखना, बुलेट ट्रेन के दावों  का खोखला निकलना, देश के प्रत्येक व्यक्तियों के खातों में 15 -15 लाख  रुपए देने का दावा करना फिर बाद में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा वादों को जुमला घोषित करके देश की भावनाओं के साथ  खेलकर ठेस पहुंचाना, देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा करना लेकिन योजना पर बजट आवंटित ना करना, आदर्श सांसद निधि के तहत गांव की विकास की घोषणा करना लेकिन बजट में ₹1 भी आवंटित ना करना, जन धन योजना के तहत देश के गरीब लोगों का खाता खोलकर निर्धारित सीमा में रुपए ना होने पर सर्विस चार्ज के नाम पर पैसा वसूलना, सीबीआई जैसी संवैधानिक संस्थाओं पर सरकार का सीधा हस्तक्षेप होना उदाहरण के लिए  सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा जैसे व्यक्तियों को  फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिर से बहाल करना, सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाएं जो देश के लोगों को न्याय देती है उनका उनका अचानक सरकार की रणनीतियों से परेशान होकर प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से देश की जनता से न्याय की अपील करना | प्रधानमंत्री ने मुकेश अंबानी से दोस्ती निभाने के चक्कर में जिओ कंपनी को प्रोत्साहन देना एवं बीएसएनल  कंपनी का लगातार  सरकारी सुविधाओं से वंचित होने  के कारण आर्थिक संकट से जूझना जिसके कारण 54 हजार  बीएसएनएल के कर्मचारियों के रोजगार खतरे होने की वजह से लोग नाराज हैं ! अम्बानी, अडानी, रामदेव एवं  जयशाह इत्यादि गिने-चुने उद्योगपतियों की आमदनी में अचानक हजार गुना वृद्धि होने से प्रधानमंत्री की चौकीदारी पर अनेक सवाल उठने लगे हैं !  प्रधानमंत्री पर बार-बार ईवीएम मशीन के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप लगे हैं !  कई बार विपक्ष द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप लगे हैं | देश के लोग इसलिए भी नाराज हैं जिस तरह के सपने पूर्व लोकसभा चुनावों में दिखाए गए थे उस तरह का कार्यक्रम जमीन के धरातल पर हुआ नहीं बल्कि लगातार देश अनेक समस्याओं की जटिल गुत्थियों  में उलझता चला गया |  टीवी चैनलों एवं विज्ञापनों में भले ही नरेंद्र मोदी ने जगह बनायी हो  लेकिन देश के लोगों के दिलों में वह जगह बनाने में असफल रहे माने जा रहे हैं |  राममनोकर लोहिया जी ने भी कहा है कि “जिन्दा कौमें पाँचसाल का इन्तजार नही करती। जब लोग रावण को सत्ता से बेदखल कर सकते है तों उनसे भी बुरा व्यवहार करने वाले मोदी का शासन क्यों नही ?

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