वाराणसी-चंदौली सीमा पर लगेगी दीनदयाल उपाध्याय की 63 फुट की मूर्ति

वाराणसी-चंदौली सीमा पर स्थित पड़ाव इलाके में गन्ना शोध संस्थान परिसर में पंडित दीनदयाल की 63 फुट ऊंची विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी. यहां पर पंडित दीनदयाल संग्रहालय और उद्यान केंद्र भी बनाया जा रहा है. इस पूरे प्रोजेक्ट पर तकरीबन 57 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.


जनसंघ के संस्थापक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की स्मृतियों को सहेजने के लिए वाराणसी-चंदौली सीमा पर स्थित पड़ाव इलाके में गन्ना शोध संस्थान परिसर में पंडित दीनदयाल संग्रहालय और उद्यान केंद्र बनाया जा रहा है. यहां पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 63 फुट की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इस पूरे प्रोजेक्ट पर तकरीबन 57 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.


इसके साथ ही पड़ाव चौराहे का सुंदरीकरण और मालवीय पुल पर दीनदयाल के नाम से प्रवेश द्वार भी बनाए जाएंगे. संस्कृति विभाग के सहयोग से वीडीए ने पड़ाव चौराहे पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से संग्रहालय का प्रस्ताव अगस्त 2017 में शासन में भेजा था. इस योजना पर 57 करोड़ रुपये खर्च होना है. इसमें 30 करोड़ रुपये की लागत से चंदौली जिले के पड़ाव में स्थित गन्ना शोध संस्थान की 1.24 एकड़ जमीन पर संग्रहालय का निर्माण कराया जाना है.


इसके अलावा 20 करोड़ रुपये से चौराहे से 200 मीटर तक सड़क निर्माण, बैरिकेडिंग, पार्किंग, लाइट सहित संग्रहालय को जोड़ने वाली सभी सड़कों को सुंदर बनाया जाएगा. खास बात यह है कि यहां पर सात करोड़ की लागत से पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 63 फुट ऊंची प्रतिमा लगाई जाएगी. बताया जा रहा है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विशाल प्रतिमा जयपुर में बनकर तैयार है.


वहीं, वाराणसी-चंदौली की सीमा पर स्थित पड़ाव में गन्ना शोध संस्थान की जमीन पर तालाब, ऑडिटोरियम और संग्रहालय आदि का निर्माण कार्य चल रहा है. साथ ही जिस स्थान पर प्रतिमा स्थापित की जाएगी, वह प्लेटफॉर्म भी बनकर तैयार है, लेकिन अभी इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में अड़चनें भी आ रही हैं. ऑडिटोरियम और बाकी की चीजें बननी हैं.


इसके अलावा जिस परिसर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा स्थापित होनी है, उस परिसर में गन्ना शोध संस्थान के ऑफिस की बिल्डिंग है. हालांकि इसके कुछ हिस्से को तो खाली करा लिया गया है, लेकिन अभी भी वहां की यह बिल्डिंग खाली नहीं हो पाई है, क्योंकि इसमें गन्ना संस्थान का दफ्तर चल रहा है. बताया जा रहा है कि जल्द ही इसे भी खाली करा लिया जाएगा.


दरसअल, शासन का उद्देश्य है कि भारतीय जनसंघ के पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन का अंतिम पड़ाव मुगलसराय में रहा है. इसलिए गन्ना शोध संस्थान में संग्रहालय का निर्माण कर उनकी स्मृतियों को सहेजा जाएगा. सभागार के अलावा अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. गौरतलब है कि एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 12 फरवरी 1968 को मुगलसराय जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक के पश्चिमी छोर पर मिला था.


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