दिल्ली के दरियागंज में दिल्ली गेट के पास लगने वाला किताब बाज़ार खास तौर पर अपनी पुरानी किताबों के लिए जाना जाता है. प्रत्येक रविवार को लगने वाले इस किताब मेले का माहौल सांस्कृतिक रंगों जैसा है. यह किताब बाज़ार किसी भी किताबों के शौकीन के लिए एक जन्नत सरीखा है. वजह है कीमतें सस्ती और विकल्प अनेक. यहां किताबों का संसार बसता है. 
दिल्ली के दरियागंज में दिल्ली गेट के पास लगने वाला किताब बाज़ार खास तौर पर अपनी पुरानी किताबों के लिए जाना जाता है. प्रत्येक रविवार को लगने वाले इस किताब मेले का माहौल सांस्कृतिक रंगों जैसा है. यह किताब बाज़ार किसी भी किताबों के शौकीन के लिए एक जन्नत सरीखा है. वजह है कीमतें सस्ती और विकल्प अनेक. यहां किताबों का संसार बसता है. यह बाज़ार वर्षों से लोगों के बीच लोकप्रिय है. यहां आप एक से बढ़कर एक नॉवेल के साथ ही अलग-अलग कोर्सेस और प्रतियोगिता परीक्षाओं की किताबें बेहद सस्ते दामों पर खरीद सकते हैं.दूसरी तरफ, यह किताब बाज़ार अन्य कई मामलों में भी खास है मसलन कई दफे आप किताबें खरीदने ही नहीं जाते, तरह-तरह की किताबों को देखते हुए उससे आपकी जान-पहचान भी बढ़ती है. इससे आपको पता लगता है कि हां, ये किताब ले लेनी चाहिए.एक तो, जिस लोकेशन पर यह बाज़ार लगता है, वहां का नज़ारा बहुत ही खूबसूरत है. किताबों को देखते हुए किताबों की दुनिया में इस कदर खो गए कि पता ही नही चला कब दिल्ली गेट से नेताजी सुभाष मार्ग होकर लाल क़िला पहुंच गए. तो सब मिलाकर दरियागंज संडे मार्केट एक उत्सव जैसा रहा. वहां किताबें खरीदने आए रमेश कुमार कहते हैं “यह किताब बाज़ार एक ऐसा यूनिक जगह है जहां रेयर से रेयर किताबें मिल जाया करती हैं. यहां आपको प्रेमचन्द से लेकर अमीश त्रिपाठी तक..सब कुछ उपलब्ध है."वहीं जब हमने आदिल हुसैन नाम के एक बुर्जुग आदमी से बातचीत की, तो उन्होंने इस मेले के इतिहास के बारे में बड़ा ही दिलचस्प बातें बताई. उन्होंने बताया कि यह किताब मेला पिछले पचास वर्षों से भी अधिक समय से लग रहा है. करीब 1965 से लगने वाले इस किताब बाज़ार में बच्चों की किताबों के साथ विभिन्न पाठ्यक्रमों की महंगी और दुर्लभ किताबों के साथ सामान्य ज्ञान व सरकारी नौकरियों की पत्रिकाएं किलो के भाव में मिलती हैं. किस्म-किस्म के किताबों का ख़जानासाहित्य और नॉवेल के अलावा कोर्स की किताबें इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, स्कूल और कॉलेज की महंगी-महंगी किताबों को भी यहां सस्ते कीमत पर प्राप्त किया जा सकता हैं. हर वर्ग के पाठकों से गुलजार रहने वाला यह किताब बाज़ार युवा और साहित्य प्रेमियों को विशेष रुप से आकर्षित करता है. इसलिए पुस्तक प्रेमियों के लिए रविवार का विशेष इंतजार रहता है. यहां प्रेमचंद्र, जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय व निराला से लेकर आज के लोकप्रिय लेखक चेतन भगत, अमीश त्रिपाठी और कुमार विश्वास की किताबें मिल जाती हैं. यहां बच्चों की किताबें 10 रुपये में भी मिल जाती हैं तो वहीं नॉवेल और हिन्दी कहानियों वाली किताबें 100-200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से मिलती है. यह न केवल उपन्यास या पाठ्य पुस्तकें बल्कि यहां योग, विदेशी प्रकाशनों, खेल या कार पत्रिकाओं, बागवानी की किताबें, बुनाई, पाक कला से संबंधित किताबें जैसे फैशन पत्रिकाए भी सस्ती कीमतो पर मिल जाती हैं. यहां आपको शेक्सपियर से लेकर शेली, कीट्स और डिकेंस जैसे महान लेखकों की किताबें मिल जाएगी. मैकबेथ, ट्वेल्थ नाइट, वूदरिंग हाइट्स, प्राइड एंड प्रेज्यूडिस और अ टेल ऑफ टू सिटीज, लाइट आन योदा न जाने कितनी अनमोल रचनाओं का यह एक अच्छा ठिकाना है.बस यहां आइए और किताबों के दुनिया में खुद को डूबो दीजिए. आपको शेक्सपियर के बगल में ही उनके समकालीन मारलोव मिल जाएंगे, जार्जिया के प्रख्यात रचनाकार जेन आस्टीन, कवि पी.बी. शैली के बगल में जॉन कीट्स, चार्ल्स डिकेंस, एमिली ब्रंट, आपको पाउलो कोएलो, डैन ब्राउन, सिडनी शेल्डन, मार्क ट्वेन, कैसीलिया अहेर्न, लियो टॉलस्टॉय, जॉर्ज इलियट, आर्थर कॉनन डायल पड़े मिल जाएंगे. और न जाने कितने ही यूरोपीयन रचनाकार मिल जाएंगे.वहीं कुछ दुकानों पर पुराने सिक्कों, स्टेशनरी, शिल्प और पेंटिंग सस्ती कीमत पर भी मिल जाती है. अगर आप भी अच्छी और सस्ती किताबों की तलाश में हैं तो आपकी यह जरुरत इस बाज़ार में पुरी हो सकती हैं. इस बाज़ार का इंतज़ार हर पुस्तक प्रेमी को रहता है.
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